कहां खो रही है आदमियत - Neeraj Mishra

by Sunday, December 01, 2013 0 comments

जिस देश में कन्या पूजन कि परम्परा थी, है, और रहेगी अगर उस देश में हमने ऐसा वातावरण बना दिया हो जिसमे दामिनी से लेकर आसाराम और तेजपाल जैसे काले किस्से सामने आते हो और छोटी बच्चियों से लेकर युवतियां और प्रौढ़ महिलाएं भी अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगें तो हमें ये विचार करना चाहिए कि शायद हम इंसान भी रह गए हैं या वो भी खतम होने कि प्रक्रिया में आ गए हैं! मुझे एक कवी कि लाइन याद आती है .........

"वतन कि जो हालत बताने लगेंगे तोह पत्थर भी आंसू बहाने लगेंगे!
कहीं भीड़ में खो गयी आदमियत जिसे ढूंढने में ज़माने लगेंगे !"

नारी अबला नहीं है इतिहास ये आभास दिलाता है........

भारतीय नारी जब त्रिशला बनी है तब दुनिया को महावीर नाम मिल पाता है !
जीजामाता शौर्य संस्कार के जगाती हैं तोह शिवा जी को रास्ट्रीय स्वाभिमान मिल पाता है !
देवकी यशोदा जब दुलारती हैं कान्हा को तोह दुनिया को प्यारा ब्रजधाम मिल पाता है !
केकैयी कौशल्या तपती हैं जब तपस्या में तोह दुनिया को पूजने को राम मिल पाता है!

Neeraj Mishra

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