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घर से गांधीनगर एअरपोर्ट और वहां से उड़कर दिल्ली एअरपोर्ट. फिर हेलीकाप्टर से रैली स्थल के हेलिपैड पर . हेलिपैड से रैली के मंच पर. ४५-५० मिनट के अखिल भारतीय लाइव प्रवचन के बाद फिर मंच से वापस उन्ही रास्तों से होते हुए गांधीनगर के अपने घर.
जनता तक पहुँचने का ये तरीका कुछ महीने चल सकता है. चला भी है. टीआरपी भी मिली है और समर्थन भी. नेता भी पसंद किया गया है और प्रवचन का अंदाज़ भी. लेकिन देश की बदली राजनितिक सोच में ये तरीका अब थक रहा है. अब टीआरपी कम हो रही है. कवरेज घट रही है. अखिल भारतीय लाइव प्रवचन का समय भी घट रहा है. प्रवचन के बीच कामर्शियल ब्रेक भी आ रहे हैं.
भगवा मित्रों लोकसभा का दंगल अगर जीतना है तो नेता को दांव बदलना होगा. आसमान से सीधे मंच पर नही ...अब जनता के बीच सड़क पर उतरना होगा...गलियों से गुजरना होगा ...गाँव में जाना होगा. पुष्पक विमान से इस देश में राम राज नही आता ...राम राज लाना है तो धरती पर रथ उतारना होगा ....क्यूंकि दिल्ली में रामलीला का मंच अब किसी और ने छीन लिया है.
राजनीती का तरीका अब बदल रहा है ...जो अब नही बदला तो उसे वक़्त बदल देगा...चार महीने का वक़्त है ...दांव बदलिए वर्ना बाज़ी हाथ से निकल सकती है.
From: Deepak Sharma
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